मनुष्य समझदार या बेवकूफ

दुनिया का सबसे समझदार और बेवकूफ प्राणी कौन ? 


‘स्मोकिंग इज् इंजीरियस् टू हेल्थ’ 

‘एल्कोहल किल्स’

‘गलोबल वार्मिंग विल बी द् कॉज ऑफ द् अर्थ डेस्ट्रेक्शन’ 

‘डोंट मिक्स ड्रिंक एंड ड्राइव’ 

‘सावधानी हटी दुर्घटना घटी’ 

ऊपर लिखी सभी पंक्तियाँ हम सबने न जाने कितनी बार पढ़ी है। खासकर उन्होंने तो सबसे अधिक पढ़ी है या पढ़ते हैं जो उन स्थानों, पदार्थों या वस्तुओं के सीधे सम्पर्क में आते हैं जिन पर ये सभी वाक्य उन्हें इस्तेमाल नहीं करने का विवेक जगाने के लिए वार्निंग या चेतावनी के रूप में लिखे होते हैं। 


कहते हैं मानव सबसे अधिक समझदार और बुद्धिमान प्राणी है मगर यह देखकर सबसे अधिक आश्यर्य होता है कि प्राणियों की यही एक प्रजाति ऐसी है जो उसी डाल को अपने हाथों से काँटती है जिस पर वह बैठी होती है। अन्य सभी जीवधारी खतरा भाँपने के साथ ही अपना रास्ता बदल लेते हैं। मानव ही एक ऐसा प्राणी है जो समृद्धि और विकास अर्थात आराम एवं विलासिता के नाम पर पहले नए-नए अनुसंधान करता है और फिर उन्हीं से खतरा होने का लेबल चेतावनी के रूप में चिपकाकर अपने दायित्वों से पल्ला झाड़ लेता है। 


कभी सोचा है ऐसा क्यों होता है ? 


मेरी नजर में ऐसा इसलिए होता है क्योंकि इंफमेशन अर्थात जानकारी को नॉलेज अर्थात ज्ञान में परिवर्तित करना तो हमें आता है मगर उस ज्ञान को आत्मज्ञान बनाकर आत्मसात् करना अर्थात स्वयं, समाज, देश या विश्व को सही मायने में समृद्ध करना हमें नहीं आता। 


इसी का खामियाजा हमें आये दिन भुगतना पड़ता है। अस्पताल में तंबाकू और एल्कोहल के कारण मरने वाले मरीजों की संख्या, शराब पीकर, बिना हेलमेट पहने या फिर बिना सीट बेल्ट लगाए गाड़ी चलाने से होती दुर्घटनाएँ, आए दिन बादल फटने, असमय बर्फबारी या ओलावृष्टि आदि घटनाएँ देखकर सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि मानव सभी प्राणियों में सबसे बड़ा बुद्धिमान बेवकूफ प्राणी है जो जानता सब कुछ है मगर मानता कुछ भी नहीं है। 



उसके लिए उसका अपनी जान जोखिम में डालकर मनोरंजन करना, उसकी लापरवाहियाँ, उसकी गलतियाँ मानो उसके जीवन जीने का आवश्यक अंग हो। हम (मानव जाति) चेतावनियाँ पढ़कर सचेत नहीं होते वरन अधिक से अधिक उस राह पर चल पड़ते हैं कि हमें वे चेतावनियाँ बार-बार दिखे और एक दिन उन पर लिखी बात सच करके हमें इस दुनिया से मुक्त कर दे। टुकड़ों-टुकड़ों में मानव जाति अपनी गलतियों और लापरवाहियों का खामियाजा आखिर कब तक भुगतेगी ? ईश्वर न करे कि वह दिन आए जब ग्लोबल वार्मिंग जैसे ही किसी खतरे के लिए सम्पूर्ण पृथ्वी पर ही सवालिया निशान खड़ा हो जाए। 


ऐसी सूरत में हम इस दुनिया के सबसे बुद्धिमान प्राणी होने के खिताब को अपने सिर माथे पर ऱखकर भी, दुनिया के सम्राट कहलाने के बाद भी अपने साथ-साथ अपनी सम्पूर्ण प्रजा अर्थात सम्पूर्ण जीवधारियों का भी जीवन संकट में डाल देंगे। 

यह एक चेतावनी है, मगर हम तो बुद्धिमान और समझदार है न, इसकी गहराई में जाने की बेवकूफी हम कभी नहीं करेंगे। 

हाँ कभी नहीं करेंगे।

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