गलती करना मानव का स्वभाव है
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है और गलतियां करना उसका स्वभाव है।जीवन के हर मोड़ पर जाने अनजाने गलतियां होती ही रहती है और गलती का होना एक सामान्य घटना है।लेकिन अपने द्वारा हुई गलतियों के बाद अलग-अलग व्यक्ति का अलग नजरिया होता है एक व्यक्ति अपनी गलती को सबक के रूप में लेता है और भविष्य में वैसी गलती दुबारा न हो ऐसा प्रयास करता है जबकि दूसरा अपने द्वारा की गई गलती को अपने ऊपर हावी कर लेता है और उसको लेकर एक अफ़सोस जाहिर करता है की काश!मैंने ऐसा नहीं किया होता तो मेरे साथ ऐसा नहीं होता।दिन रात बस ऐसे ही सोचता रहता है और आत्म ग्लानि से ग्रसित हो जाता है।एक अन्य व्यक्ति गलती को गलती मानने के लिए ही तैयार नहीं होता और अपने आपको हर जगह सही सिद्ध करने की कोशिश में ही लगा रहता है।इन तीनो स्थितियों में पहली स्थिति सर्वश्रेष्ठ है और भविष्य के लिए उन्नतिकारक है।क्योंकि ऐसा व्यक्ति वास्तविकता में जी रहा है।वह मानता है की गलती हर इंसान से होती है और में भी एक इंसान हूँ।अगर मुझसे गलती हो गई और उससे कोई बुरा परिणाम मुझे देखने को मिला तो चलो अच्छा हुआ आगे से में ऐसी गलती की पुनरावृति नहीं होने दूंगा।उसकी