एक बेटा तो होना ही चाहिए
सदियों से हमारे समाज में एक धारणा बनी हुई है कि प्रत्येक माता पिता के एक लड़के का जन्म तो होना ही चाहिए।जिसके बेटा नहीं होता उसे अभागा समझा जाता है।लड़के की यह चाहत न चाहते हुए भी परिवार में संतानों की संख्या बढ़ा देती है जो बाद में एक सामान्य आय वाले परिवार की अर्थव्यवस्था को बिगाड़ने का काम करती है।आजकल तो लड़का पैदा करने के कई नुस्खे भी काम में लिए जाने लगे हैं ।कुछ शातिर प्रकृति के लोग तो इस चीज के विशेषज्ञ बने बैठे हैं और मजे से चांदी कूट रहे है ।बड़े-बड़े पढ़े लिखे लोग लड़के की चाहत में इनकी सेवाएं लेने से नहीं चूकते।उन भले मानसों को यह नहीं पता की लिंग का निर्धारण x और y क्रोमोसोम से निर्धारित होता है जिसे दुनिया की कोई दवा निर्धारित नहीं कर सकती ।इनका खेल केवल संभावना के सिद्धान्त के आधार पर चलता है।जब इनकी दवा के प्रयोग के बाद लड़का पैदा हो जाता है (जिसकी 50% संभावना तो हमेशा होती ही है)तो यह उसे एक उदाहरण के रूप में प्रस्तुत करते है ।और जब परिणाम विपरीत आता है तो दवा के प्रयोग करने में गलती होना बताकर या उसकी किस्मत ख़राब बताकर सारा दोष प्रयोग करने वाली महिला का बता देते है
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