चोखा धंधा

  लंबे इंतज़ार के बाद मेरे इस ब्लॉग पर आप सभी का स्वागत।आइये आज आपको कुछ लोगों से मिलाते है-आप है मुम्बई के चरणी रोड पर धंधा करने वाले किशन।आपका नाला सोपारा में स्वयं का फ्लैट है।आमदनी पैंतालीस हजार रुपये महीना।ये हैं पटेल के भारत परेल में इनके दो अप्पार्टमेंट है जिनकी कीमत करीब दो करोड़ रूपया है।एक जूस और स्टेशनरी की दुकान है।ये है पटना की सर्वतीया देवी,साल में करीब छत्तीस हजार रुपये बीमा की क़िस्त चुकाती है।अब इन सभी महानुभावों का पेशा भी बता दें।हुजूर ये सब भिखारी हैं।चोराहे पर खड़े होकर भीख मांगते हैं।देशी लोगों से हिंदी,उर्दू और विदेशियों से अंग्रेजी बोलकर डॉलर झटक लेते है।और तो और एक दिन एक गली के नुक्कड़ पर एक महाशय को एक भिखारिन मिली जिसने कहा कि उसका परिवार दो दिन से भूखा है।महाशय ने तरस खाकर उसे दो किलो आटा, दाल,मसाले इत्यादि दुकान से दिलवा दिए।कुछ देर बाद उन्होंने देखा कि भिखारिन उसी सामान को उसी दुकानदार को वापिस करके नगद रुपये ले रही थी।नगदी लेकर हलवाई की दुकान पर जाकर रबड़ी खाने लगी।आपको अगर एक से एक अदभुत भिखारियों से मिलना है तो देश की राजधानी के नामी बाग़ के एक खास कोने तक जाना पड़ेगा।यहाँ दर्जनों भिखारी रहते है,कभी वे सुल्फा पीते हैं,कभी गांजा।ताश और चर-भर खेलना इनका शौक है।दिन में दो बार पीते हैं और चार बार खाते हैं।ये तो हैं सचमुच के भिखारी।अगर आपको छदम् वेशधारी भिखारियों से मिलना है तो फिर थोड़ी सजग आँखों से देखना पड़ेगा।सरकारी दफ्तरों में रिश्वत रुपी भीख मांगते हजारों भिखारी मिल जायेंगे।फर्क सिर्फ इतना है कि चोराहे वाला गिड़गिड़ा कर भीख मांगता है और ये आँखें दिखाकर।चुनाव के दिनों में वोटों के हजारों भिखारी गली-गली घूमते दिख ही जाते हैं।हम इन्हें झांसेबाज भिखारी कहते है।ये आपका वोट भी लेते हैं और एवज में कभी वादे पकड़ाते है,कभी जुमले दे जाते है और कभी-कभी तो थूक बिलोकर ही वोट ले लेते हैं।आज हमें लगता है कि हम कृषि प्रधान देश की जगह भिखारी प्रधान देश के निवासी है।

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