बीमारियों से जुड़े कुछ मिथक

आज हम बीमारियों एवं उनके इलाज को लेकर समाज में फैले कुछ मिथकों पर चर्चा करेंगे और उनकी सच्चाई से रूबरू होंगे।    मिथक (1)लोगों में एक धारणा व्याप्त है की अमुक डॉक्टर दवाई बढ़िया देता है जिससे तुरंत इलाज होता है जबकि सच में दवाई कभी भी बढ़िया या घटिया नहीं होती और ये भी जरुरी नहीं होता की हर बीमारी में दवा लेना जरूरी ही होहो बहुत सी बीमारियां सिर्फ थोड़ी बहुत सावधानी बरतने पर शरीर की रोगप्रतिरोधक शक्ति से ही ठीक हो जाती है जरुरी नहीं की हर बीमारी का इलाज ढेर सारी दवा खाने से ही हो। (2)कई बार लोगों से यह कहते हुए सुना जाता है क़ि हमने बड़े बड़े डाक्टरों को दिखा लिया किसी से कोई फायदा नहीं मिला फिर हमारे गांव के डॉक्टर ने ठीक कर दिया तो इसमें हो सकता है गाँव के किसी डॉक्टर ने किसी प्रकार के स्टेरॉयड का प्रयोग किया हो जिसके दूरगामी परिणाम घातक हो  (3)कईयों की यह मान्यता होती है की दवाई लंबे समय तक लगातार नहीं लेनी चाहिये क्यों कि फिर दवा की आदत पड़ जाती है यह सोच हर जगह सही नहीं होती ब्लड्प्रेसर,मधुमेह,थाइरॉइड,जैसी अनेको बीमारियों के लिए दवाई लगातार लेना ही जरुरी होता है और इसमें लापरवाही काफी घातक हो सकती है अतः दवाई कब तक लेनी है इसमें अपने डॉक्टर की सलाह ही माननी चाहिए (4)कई लोग बीमार होने पर इसलिए डॉक्टर के पास जाने से कतराते हैं की वो कोई न कोई बीमारी ओर बता देगा। यह सोच कभी बड़ी घातक सिद्ध होती है कारण की ब्लड्प्रेसर और मधुमेह जैसी बीमारियां शुरुआत में कोई विशेष तकलीफ नहीं देती लेकिन यदि समय पर इनका प्रबंधन नहीं किया जाये तो आगे चलकर बड़ी परेशानी का कारण बनती है ।(5)बहुत से लोग अपनी जीभ को कंट्रोल नहीं कर पाते और ऊलजुलूल खानपान करते रहते हैं और परिणामस्वरूप पेट में हुई गड़बड़ी के लिए एसिड कम करने वाली दवाइयाँ जैसे omeprazole.rebiprazole.pantaperazole etc. खाते रहते है जिनके लंबे समय तक प्रयोग करने पर काफी दुष्प्रभाव होते है। (6)शिक्षा के व्यापक प्रसार के बाद भी समाज में आज भी झाड़ फूंक,डोरा ताबीज़ जैसे उपचार के तरीके प्रचलित है जिसके चलते कई बार उपचार के अभाव में रोगी की जान तक चली जाती है।जैसे यदि विषैले सर्प के काटे व्यक्ति को यदि समय पर उपचार मिल जाये तो शतप्रतिशत उसकी जिंदगी बचाई जा सकती है।(7)कई बार किसी पड़ोसी या रिश्तेदार के कैंसर जैसी बीमारी घोषित हो जाने पर स्वयं में भी वैसे ही symptoms नजर आने लगते है और बारबार उसी बीमारी पर ध्यान जाता रहता है और झूंठा तनाव पैदा कर लिया जाता है जो आगे चलकर व्यक्ति को रोगी बना देता है अतः किसी भी दुसरे रोगी की अपने से तुलना न करे और किसी भी तरह की शंका होने पर अपने डॉक्टर से निसंकोच बात करें।   आज बस इतना ही आगे इस विषय पर चर्चा जारी रहेगी ।यह चर्चा कैसी लग रही है कृपया कमेंट के माध्यम से बतलाये।

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