मनोरोगों के इलाज का सही तरीका
आज हम देखेंगे कि एक मनोरोगी के इलाज में ऐसी कौनसी प्रक्रिया अपनाई जाय जिससे कि रोगी यथासिघ्र रोग से मुक्त होकर सफल जिंदगी जी सके और पैसै की बर्बादी से भी बच सके। (1)सर्वप्रथम तो यह तय करें और अपने मन में दृढ़ धारणा बना लें कि शरीर में होने वाली किसी भी बिमारी चाहे वो शारीरिक हो या मानसिक सबके पीछे कोई न कोई कारन छुपा होता है उस कारन की पहचान करने का प्रयास करें यदि कारण समझ में आ जाता है तो सर्वप्रथम उस कारन को दूर करने का प्रयास करें यदि कारण को दूर करने में सफलता मिल जाती है तो बीमारी का इलाज स्वतः हो जाता है। (2)यदि खोजने के बाद भी कारण समझ में नहीं आता है तो फिर अपने किसी विश्वसनीय चिकित्सक की सलाह लेकर उपचार की और कदम बढ़ाएं ।(3)रोग यदि मानसिक हो तो भी इलाज की शुरुआत सर्वप्रथम फिजिसियन से ही करें यदि फिजिसियन किसी मनोचिकित्सक की सलाह दे तो ही मनोचिकित्सक के पास इलाज शुरू करें। (4)इलाज के बारे में अपने चिकित्सक से खुलकर बात करें और उनके दिए गए निर्देशों का पूरी तरह पालन करें (5) मनोरोगों के इलाज में दवा के सही समय और नियमितता का बड़ा महत्त्व है अतः इलाज के शुरुआत में दवा रोगी व्यवस्था किसी परिजन के हाथ में रखे धीरे धीरे सुधार होने पर रोगी को स्वयं दवा लेने दे।(6) इसमें सबसे महत्वपूर्ण बात यह होती है की एक बार दवा शुरू करने के बाद अपनी मर्जी से दवा बंद न करे चाहे फायदा हो या ना हो कारण की दवा अचानक बंद कर देने से रोगी की स्थिति बिगड़ सकती है और उसका जीवन ख़राब हो सकता है।(7)लोगों के बहकावे में आकर किसी भी सयाने,तांत्रिक,ओझा,डोरा ताबीज आदि के चक्कर में न पड़ें ये लोग भूत प्रेत पिशाच करा कराया आदि के बहकावे में डालकर रोग को और जटिल बना देते हैं मन में यह दृढ धारणा बना ले कि भूत प्रेत वगैरह एकमात्र मन का वहम है इनका कोई अस्तित्व नहीं है जरा सोचिये जिस विज्ञान ने आज इंटरनेट जैसे अनेकों अविष्कार जिनकी हम जैसों ने कभी कल्पना भी नहीं की थी कर दिए हैं ऐसे में यदि कोई भूत प्रेत वगेरह होते तो क्या विज्ञानं उसे छोड़ता ।तो मेरे कहने का मतलब यह है की किसी के भी बहकावे में न आवे ओर स्वयं के विवेक का प्रयोग करें।(8)हर प्रकार के मनोरोग का कारण मस्तिष्क की अंदरुनी क्रियाकलापों में किसी भी कारण से हुई गड़बड़ी है जिसे उचित दवाइयों परिवार का सहयोग और अन्य वैज्ञानिक तकनीकों के माध्यम से सही किया जा सकता है। (9)मेरे इस लेख को पढ़कर कई लोग यह भी तर्क दे सकते हैं कि हमने सभी प्रकार के डाक्टरी इलाज से निराश होकर जब एक बाबाजी को दिखाया तो हमारा इलाज हुआ तो मेरा उनसे कहना है की एक बात दिमाग में हमेशा गांठ बांधकर रख लें की इस शरीर में जितने बीमारी पैदा करने वाले कारक है उनसे ज्यादा बीमारी को ठीक करने कि व्यवस्था प्रकृति ने की है तो कई बार बीमारी एक निश्चित समय के बाद स्वतः ही ठीक हो जाती है जिसके श्रेय उस समय जो भी इलाज चल रहा होता है उसको मिल जाता है।कई बार देखने में आता है व्यक्ति को वर्षो तक सन्तान सुख नहीं मिल पाता चिकित्सक भी पूरा प्रयास करके निराश हो जाते है उसके बाद संतान पैदा हो जाती है ऐसे कई उदाहरण मेरे पास है।जिसमें हर तरह का यानि कि डॉक्टर से लेकर विभिन्न बाबाओं का और सारे देवी देवताओं के नाक रगड़ने के बाद निराश होकर बैठने के वर्षो बाद संतान सुख की प्राप्ति हो जाती है। आगे इसी प्रकार चर्चा जारी रहेगी ।लेख पढ़ने के बाद यदि कोई शंका मन में उपजे तो निःसंकोच कमेंट के माध्यम से प्रकट करें जहाँ तक संभव हुआ शंका समाधान का प्रयास करूँगा
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