मनोरोग और अंधविश्वास
आज हम मनोरोगों की चिकित्सा में की जा रही गलतियों पर चर्चा करेंगे। मनोरोगों से आशय मनुष्य शरीर में पैदा हुई उन परेशानियों से है जिनकी उत्पति का कारण व्यक्ति की स्वयं की बिगड़ी हुई मानसिक स्थिति होता है।पुराने समय में मनोरोगों को देवी देवता और भूत प्रेत के प्रकोप से होना समझा जाता था ।लेकिन जैसे जैसे शिक्षा का प्रसार हो रहा है लोगों की सोच में भी बदलाव आ रहा है ।चिकित्सा विज्ञान की खोजो ने भी इन रोगों के उपचार का मार्ग प्रसस्त किया है लेकिन इन रोगों की चिकित्सा में कई प्रकार की जटिलताओं और आम आदमी की अनभिज्ञता के कारण आज भी इनकी चिकित्सा होना किसी चुनोती से कम नहीं है ।मनोरोगों की चिकित्सा में आने वाली परेशानियो को हम बिंदुवार चर्चा करेंगे । (1)मनोरोगों की चिकित्सा का सर्वप्रथम पड़ाव तो होता है इन रोगों का सही निदान , anxiety or depression के symptoms को प्राथमिक स्तर पर अन्य शारीरिक रोगों की तरह treat किया जाता है कारण की इनके symptoms भी अन्य रोगों की तरह ही होते है जैसे भूख का कम या ज्यादा लग्न,उल्टियाँ होंना,थकान महसूस होना, नींद का अचानक कम या ज्यादा आना,हाथ पैरो में कमजोरी और दर्द महसूस होना,कभी दस्त होना तो कभी कब्ज का होना इत्यादि।शुरू में इन परेशानियों का symptomatic treatment किया जाता है खुद रोगी भी यह नहीं समझ पाता की उसके साथ ऐसा क्यों हो रहा है तो वह उपचार के बाद भी स्वस्थ न होने के कारण बार बार चिकित्सक बदलता रहता है यदि कोई चिकित्सक रोग को पहचान भी लेता है तो रोगी उसे मानने के लिए तैयार नहीं होता है और वह भटकता रहता है।यही भटकाव रोग को जटिल बना देता है। क्रमशः----
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