समाज में व्याप्त भ्रांतियां और उनके नुकसान
कल हमने बीमारियों से जुड़े कुछ मिथकों के बारे में चर्चा की उसी चर्चा को आगे बढ़ाते हुए आज और चर्चा करते हैं।(1)समाज में आज भी एक धारणा बनी हुई है की देसी दवाई के कोई दुष्प्रभाव नहीं होते और इसी धारणा का फायदा उठाते हुए दवा निर्माता अपनी दवा के विज्ञापन में यह मोटे तौर पर लिखते हैं कि दवा शुद्ध आयुर्वेदिक है जिसके कोई साइड इफ़ेक्ट नहीं है आमजन इसी भ्रम में दवा का प्रयोग कर लेते है की चलो देख लेते है फायदा होगा तो ठीक नुकसान तो कुछ होगा नहीं जबकि वास्तविकता यह है कि आयुर्वेदिक चिकित्सा रोगी की प्रकृति को ध्यान में रखकर की जाती है यदि दवा के घटक प्रकृति के विरुद्ध हुए तो गम्भीर दुष्परिणाम हो सकते हैं अतःकिसी भी दवा का सेवन मात्र दवा के विज्ञापन को देखकर ही न करें यदि आयुर्वेदिक इलाज ही लेना हो तो किसी योग्य आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह से ही करें। (2)कई रोगी इतने जल्दबाज होते है कि वो किसी भी बीमारी से जितनी जल्दी हो सके छुटकारा पाना चाहते हैं खासकर सर्जिकल मामलों में ऐसा देखा जाता है ।जबकि किसी भीभी बीमारी का उपचार चिकित्सक द्वारा सर्जरी से बताया जाता है तो एकबार जल्दबाजी न करके किसी दूसरे सर्जन की सलाह और लेने के बाद ही निर्णय करना चाहिए कारण की कुछ मामलों में चिकित्सक गलतफहमी में या अपने फायदे के लिए भी ऐसी सलाह दे देते हैं विशेषकर पथरी,स्त्रियों में रक्तप्रदर,हर्निया,अपेंडिक्स,स्तन में गांठ,मोतियाबिंद जैसी बीमारियो में हमेशा दो चिकित्सकों की राय लेकर ही सर्जरी का निर्णय लेना चाहिए।(3)लोगों में एक यह भी धारणा बनी हुई है की अपने आप कोई बीमारी ठीक नहीं होती है जबकि वास्तविकता यह है कि प्रकृति ने शरीर में ही हर प्रकार की बीमारी से लड़ने की शक्तिशक्ति प्रदान की है जिसे रोगप्रतिरोधक शक्ति के नाम से जाना जाता है यदि शरीर का यह सिस्टम सुचारू रूप से कार्य कर रहा हो तो बिना किसी इलाज के बीमारी ठीक हो जाती है यह शक्ति कमोबेश सभी जीवो के शरीर में व्याप्त होती है।कई बार अंधाधुंध दवाईयों का प्रयोग इस शक्ति को कमजोर कर देता है और रोग को जटिल बना देता है।(4)एक और धारणा लोगों में विशेषकर पढ़े लिखे लोगों में जड़े जमा चुकी है कि हर प्रकार की बीमारी में एंटीबायोटिक लेना जरूरी होता है जबकि एंटीबायोटिक का प्रयोग केवल उन्ही बीमारियो में किया जाना चाहिए जो बीमारी bactaria से पैदा हुई हो लेकिन आजकल तो साधारण सर्दी जुकाम ,फ्लू जैसे रोगों में भी इन दवाओ का अंधाधुंध प्रयोग किया जा रहा है जो भविष्य के लिए काफी चिंता का विषय है । आज के लिए बस इतना ही ।
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